विश्व के विभिन्‍न भागों में आयु-लिंग में असंतुलन के लिए उत्तरदायी कारकों तथा व्यावसायिक संरचना की विवेचना कीजिए | | Dofollow Social Bookmarking Sites 2016
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जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना से अभिप्राय विभिन्न आयु-वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या से है। इसे एक विशेष प्रकार के रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जाता है जिसकी आकृति पिरामिड से मिलती है। इस कारण इसे आयु-लिंग अथवा जनसंख्या पिरामिड कहा जाता है। विश्व के विभिन्न भागों में आयु-लिंग में असंतुलन के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-

स्त्री-पुरुष की जन्म-दर में अंतर :- प्रत्येक समाज में जन्म के समय नर बच्चे, मादा बच्चों से अधिक होता हैं। सामान्यतया जन्म के प्रत्येक 104 से 107 नर बच्चों के अनुपात में 100 मादा बच्चे होते हैं।


स्त्री-पुरुष की मृत्यु-दर में अंतर :- विकसित देशों में जीवन की सभी अवस्थाओं में पुरुष मृत्यु-दर, स्त्री मृत्यु-दर सेअधिक होती है इसके विपरीत विकासशील देशों में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में मृत्यु-दर अधिक होती है।

प्रवास :- अधिकांश विकासशील देशों, विशेषतया एशियाई तथा अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में पुरुष ग्रामीण इलाकों से नगरों की ओर आजीविका की तलाश में प्रवास करते हैं। विकसित देशों में नगरीय लिंगानुपात स्त्रियों के पक्ष में अधिक होता है क्योंकि वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के काम में पुरुषों की संख्या ज्यादा होती है स्त्रियाँ नगरों में नौकरी की तलाश में प्रवास करती है।
व्यावसायिक संरचना - किसी क्षेत्र की विशिष्ट आर्थिक क्रियाओं में लगे जनसंख्या के अनुपात को व्यावसायिक संरचना कहते हैं। व्यावसायिक संरचना को चार मुख्य वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-
प्राथमिक व्यवसाय :- इन व्यवसायों में आखेट, मत्स्यपालन, फल संग्रहण, कृषि संग्रहण, कृषि तथा वानिकी इत्यादि आते हैं।
द्वितीयक व्यवसाय :- इन व्यवसायों में विनिर्माण उद्योग तथा शक्ति उत्पादन इत्यादि आते हैं।
तृतीयक व्यवसाय :- इन व्यवसायों के अंतर्गत परिवहन, संचार, व्यापार, सेवाएँ आदि शामिल किए जाते हैं।
चतुर्थक व्यवसाय :- इनके अंतर्गत चिंतन, शोध योजना तथा विचारों के विकास से जुड़े अत्याधिक बौद्धिकतापूर्ण व्यवसायों को रखा जाता है।

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